भारत में 17वीं लोकसभा चुनाव के दौरान लगभग 67 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान नहीं किया। इसका मतलब यह है कि देश के 91 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 30 करोड लोगों ने सरकार चुनने में अपना मत नहीं दिया।
इस आंकड़े से यह स्पष्ट है कि देश में चुनाव में दौरान जो प्रतिनिधि चुने गए वह देश की जनता के बहुमत को नहीं दर्शाते थे और जिस सरकार का निर्माण हुआ उसमें पूर्ण रूप से लोगों की राय शामिल नहीं थी।
कई विद्वानों ने इस मुद्दे पर यह राय दी है कि देश में मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने का एक विकल्प यह हो सकता है कि मतदान को अनिवार्य कर दिया जाए। सभी 18 वर्ष से ऊपर के आयु के लोगों के लिए यह अनिवार्य कर दिया जाए कि उन्हें चुनाव के दौरान अपना मत देना ही होगा। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि एक कानून के तहत योग्य नागरिकों ने अपना वोट नहीं दिया तो उन्हें सजा देने का प्रावधान होगा। एक अन्य तरीका यह भी हो सकता है कि जो नागरिक अपना वोट देंगे उन्हें किसी भी तरह से सम्मानित कर प्रोत्साहित किया जाएगा।
इसके पीछे यह तर्क दिया जाता है कि इस प्रक्रिया से जन कल्याण की नीतियां बनाते समय सरकार समाज के उन लोगों के हितों को नजरंदाज नहीं करेगी जो राजनीतिक रूप से कम जागरूक हैं।
एक तर्क है भी है कि इससे चुनाव के दौरान पहचान को लेकर होनी वाली धांधलियां भी रुक सकेगी। ऐसा भी कहा गया है कि चुनाव को अनिवार्य करने से देश में राजनीतिक जागरूकता भी बढ़ेगी।
दुनिया के 33 देशों में मतदान करना अनिवार्य है। इन देशों में बेल्जियम, स्विटजरलैंड, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, अर्जेंटीना जैसे देश शामिल हैं। इन देशों में मतदान ना करने पर सजा का भी प्रावधान है।भारत जैसे देश में जहां मतदान करना या ना करना पूर्णतः मतदाता का निजी फैसला होता है वहीं बेल्जियम में 1893 से ही वोटिंग नहीं करने पर जुर्माने का प्रावधान है। इस तरह सिंगापुर की बात की जाए तो वहां वोट नहीं डालने पर मतदान के अधिकार छीन लिए जाते हैं। ब्राजील में मतदान नहीं किया तो पासपोर्ट जब्त हो जाता है।
अगर भारत से तुलना की जाए तो आस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, ब्राजील, सिंगापुर, तुर्की और बेल्जियम जैसे 19 देशों में चुनाव प्रक्रिया लगभग हमारे देश जैसी ही है।
लेकिन भारत में इस प्रक्रिया को लागू करने के विपक्ष में भी तर्क दिए जाते हैं। जबरन वोटिंग का विचार लोकतंत्र विरोधी है। मतदान का अधिकार वैकल्पिक है। इसे मजबूरी या प्रलोभन देकर अनिवार्य करना लोकतंत्र के खिलाफ है। मतदान को अनिवार्य करना जागरूक नागरिक की निशानी हो ऐसा भी जरूरी नहीं है। बल्कि इससे मतदान की प्रक्रिया के मैकेनिकल हो जाने का खतरा है। इस बात का एक प्रमाण यह भी है कि जिन देशों में मतदान अनिवार्य है वहां अवैध वोट का प्रतिशत सबसे अधिक पाया गया।
चुनाव आयोग ने भी इस मुद्दे पर विचार किया था। आयोग ने यह विचार रखा कि भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में मतदान को अनिवार्य करना लगभग असंभव है। देश में मतदान ना करने वाले 30 करोड़ से अधिक लोगों को दंड दे पाना किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं है।
इन सब पक्षों को देखते हुए आगे की राह क्या हो सकती है? सबसे जरूरी लोगों में मतदान को लेकर जागरूकता बढ़ाना है। चुनाव आयोग समय समय पर इस तरह के कैंपेन चलाती है। इसे और प्रभावी तरीके से लागू करने की जरूरत है। स्कूली पाठ्यक्रम में इसे अधिक से अधिक शामिल किया जाना चाहिए। मीडिया भी लोगों में जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
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