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सुधा मूर्ति- जिनका जीवन ही है प्रेरणा

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सुधा मूर्ति- जिनका जीवन ही है प्रेरणा

"मैं हर रोज जब सुबह उठती हूं तो अपने आप से यही सवाल करती हूं कि मैं आज समाज के लिए क्या अच्छा कर सकती हूं, मैं आज क्या नया सीख सकती हूं जिससे मैं समाज को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकूं। और हर रात जब मैं सोने जाती हूं तो यही देखती हूं क्या मुझे इसमें सफलता मिली? मेरे लिए जीवन का मतलब यही है।" ये शब्द शिक्षिका, लेखिका, समाजसेवी और इंफोसिस फाउंडेशन की पूर्व चेयरपर्सन सुधा मूर्ति ने तीन साल पहले दिए गए इंटरव्यू में कहें थे। भारत सरकार द्वारा पद्म श्री और पद्म भूषण से सम्मानित सुधा मूर्ति को महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा राज्यसभा सांसद के तौर पर मनोनीत किया गया। 73 साल की सुधा मूर्ति ने कहा है कि ये उन्हें महिला दिवस पर मिला बहुत बड़ा तोहफा है। देश के लिए काम करने की अब नई जिम्मेदारी मिली है। सुधा मूर्ति इन्फोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति की पत्नी हैं। इस कंपनी को शुरू करने के लिए उन्होंने नारायण मूर्ति को 10 हजार रुपए उधार दिए थे और इस कंपनी की सफलता में उनका अहम योगदान है। निजी जिंदगी में अपनी सादगी के लिए जानी जाने वाली सुधा मूर्ति के पास इन्फोसिस में 0.83 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसका मूल्य मौजूदा कीमतों के आधार पर करीब 5,600 करोड़ रुपये है। उनका जन्म कर्नाटक में शिगांव में 19 अगस्त 1950 को हुआ था। सुधा के पिता आर.एच कुलकर्णी पेशे से सर्जन थे और मां विमला कुलकर्णी एक शिक्षिका थी। उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन किया। यह भी एक दिलचस्प वाकया था। दरअसल, सुधा मूर्ति इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच दाखिला पाने वाली पहली महिला थीं और वे पढ़ाई के बाद टेल्को कंपनी में काम करने वाली पहली महिला इंजीनियर भी थीं। इन सब के अलावा सुधा मूर्ति का जीवन खुद में ही एक प्रेरणा है। वह गेट्स फाउंडेशन के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं। उन्होंने कई अनाथालय शुरू करने, गांवों के विकास, कर्नाटक के विभिन्न स्कूलों में कंप्यूटर लैब और लाइब्रेरी मुहैया कराने में भी अहम योगदान दिया है। इसके अलावा उन्होंने आठ उपन्यास भी लिखे हैं। बच्चों के लिए लिखी गई उनकी किताबें खूब लोकप्रिय रहे। सुधा मूर्ति कहती हैं कि जीवन में आपको संघर्ष करना ही पड़ेगा। जिंदगी आसान नहीं है। लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि जिंदगी खूबसूरत नहीं है। आपको हर परिस्थिति में खुद पर भरोसा रखना चाहिए। वह कहती हैं अपनों और अपने काम के प्रति निस्वार्थ प्रेम ही उनकी सफलता का राज है।

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जागृति

प्रशिक्षु पत्रकार, भारतीय जन संचार संस्थान।